शाहीन बाग के साथ खड़ा है पूरा पंजाब
नयी दिल्ली. शाहीन बाग से पंजाब का रिश्ता साहित्य, संगीत और कला-संस्कृति के स्तर पर भी गहरा जुड़ रहा है। किसानों के साथ-साथ बुद्धिजीवी, साहित्यकार और संगीत से जुड़ी नामवर शख्सियतें शाहीन बाग जाकर संशोधित नागरिकता कानून (सीएएए) के खिलाफ जारी आंदोलन में शिरकत कर रही हैं। लोकतंत्र में विरोध का प्रतीक बन चुका शाहीन बाग पंजाब के लिए भी नया इतिहास रचने का अवसर बन गया है। फासीवाद के खिलाफ प्रतिरोध के ऐसे पुरजोर स्वर पंजाब से पहली बार उठ रहे हैं।
शाहीन बाग से शिरकत करके लौटे पंजाब के प्रमुख बुद्धिजीवियों और आला दर्जे के गीत-संगीत कलाकारों से बातचीत में पता चलता है कि इन दिनों पंजाबी समाज का एक बड़ा तबका बढ़ती असहिष्णुता से किस कदर चिंतित है। सूबे में रोज नागरिकता संशोधन कानून और सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ लगने वाले मोर्चे और होने वाले सेमिनार भी इसकी गवाही शिद्दत से देते हैं। यह पंजाब का नया मोर्चा है, जो किसी भी कीमत पर देश के परंपरागत अमन-सद्भाव को अपने तईं बचाना चाहता है, जबकि खुद पंजाबी समाज बेशुमार जटिल समस्याओं से जूझ रहा है।